खो गया है मेरा कुछ,
जिसे ढूँढूं कहाँ, नहीं पता|
एक नन्हा-सा सपना था,
जो लगता बिलकुल अपना था,
दिखते थे उसमे इंसान,
ह्रदय/चरित्र से बेहद धनवान,
आँख तो खुलनी ही थी,
इसमें भला थी क्या मेरी खता?
खो गया है....
एक मासूम-सी थी मुस्कान,
जो करती हर मुश्किल आसान,
दिल से निकलकर आती थी,
प्रायः हँसी में बदल जाती थी,
मेरी तरह वो भी सहम गयी,
चली गयी बताकर मुझे धता!
खो गया है....
पास में कुछ उम्मीदें थीं,
कुछ अपनी, कुछ अपनों से थीं,
कुछ परिभाषाएँ बदल गयीं,
कुछ आशाएँ पिघल गयीं,
सभी अगर होते हैं अकेले,
क्यूँ नहीं दिया एक बार बता?
खो गया है....
आत्मविश्वास चलता था साथ,
एक आग को लेकर अपने हाथ,
किसी कि ज़रुरत उसे न थी,
इतनी ताक़त खुद उसमें थी,
पर, सुना दी उसने अपनी व्यथा,
बेबस है वह, दिया उसने जता|
खो गया है....
मेरे अंतस का सन्नाटा ही,
है अब मेरे मन का राही,
जिजीविषा के खोने से पहले,
"वह" भी अपने मन की कह ले,
हृदयहीन होने का डर अब,
दिन-रात रहा है मुझे सता|
खो गया है....
पहले आत्मा या कि जीवन,
कौन जाएगा, यही विकट प्रश्न,
कोई लोक ऐसा भी होगा,
जहाँ न छल हो, न कोई धोखा,
शायद पा सकूँ वहाँ स्थान,
संतुष्ट करती ये विचारलता|
खो गया है....
जिसे ढूँढूं कहाँ, नहीं पता|
एक नन्हा-सा सपना था,
जो लगता बिलकुल अपना था,
दिखते थे उसमे इंसान,
ह्रदय/चरित्र से बेहद धनवान,
आँख तो खुलनी ही थी,
इसमें भला थी क्या मेरी खता?
खो गया है....
एक मासूम-सी थी मुस्कान,
जो करती हर मुश्किल आसान,
दिल से निकलकर आती थी,
प्रायः हँसी में बदल जाती थी,
मेरी तरह वो भी सहम गयी,
चली गयी बताकर मुझे धता!
खो गया है....
पास में कुछ उम्मीदें थीं,
कुछ अपनी, कुछ अपनों से थीं,
कुछ परिभाषाएँ बदल गयीं,
कुछ आशाएँ पिघल गयीं,
सभी अगर होते हैं अकेले,
क्यूँ नहीं दिया एक बार बता?
खो गया है....
आत्मविश्वास चलता था साथ,
एक आग को लेकर अपने हाथ,
किसी कि ज़रुरत उसे न थी,
इतनी ताक़त खुद उसमें थी,
पर, सुना दी उसने अपनी व्यथा,
बेबस है वह, दिया उसने जता|
खो गया है....
मेरे अंतस का सन्नाटा ही,
है अब मेरे मन का राही,
जिजीविषा के खोने से पहले,
"वह" भी अपने मन की कह ले,
हृदयहीन होने का डर अब,
दिन-रात रहा है मुझे सता|
खो गया है....
पहले आत्मा या कि जीवन,
कौन जाएगा, यही विकट प्रश्न,
कोई लोक ऐसा भी होगा,
जहाँ न छल हो, न कोई धोखा,
शायद पा सकूँ वहाँ स्थान,
संतुष्ट करती ये विचारलता|
खो गया है....