खामोश-सी रातों में तन्हाई आकर पसर जाती है,
कई रोज़ से आँखों में नमी-सी उतर आती है |
कुछ देखे- कुछ अनदेखे-से, पलकों में जो क़ैद हैं,
अधूरे ख़्वाबों के दरम्याँ, नींद आकर गुज़र जाती है |
तुमसे पूछे बगैर हमने, दे दिए थे जो तुम्हें,
हर दिशा में उन वादों की आवाजें बिखर जाती हैं |
जब भी बैठी आँखें मूंदे, उनमें तुम्हारा आना हुआ,
मेरे मन की सारी गलियाँ रोशनी से भर जाती हैं |
हर पदचाप, हर आहट पर, चौंक-सी उठती हूँ मैं,
उम्मीद की एक दस्तक और, घर की हर शै सँवर जाती है |
दुनिया की भीड़ में, जाना-सा एक चेहरा देखा था,
मेरी यादों में अक्सर उसकी तस्वीर-सी उभर आती है |
कई बार सोचती हूँ, कहीं दूर चली जाऊं,
पर, शहर की हर एक डगर तुम्हारे नगर जाती है |
''दुनिया की भीड़ में, जाना-सा एक चेहरा देखा था,
ReplyDeleteमेरी यादों में अक्सर उसकी तस्वीर-सी उभर आती है |''
बेहतरीन लाईनें।
प्यार की इंतहा।
बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteअच्छी रचना !!! सहज,सरल और सुंदर... हां 'पदचाप' शब्द जरूर खटक जाता है बीच में..
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteदुनिया की भीड़ में, जाना-सा एक चेहरा देखा था,
मेरी यादों में अक्सर उसकी तस्वीर-सी उभर आती है |
यादें तो कभी पीछा नही छोडती। शुभकामनायें।
बेखुदि-ए-इश्क़ मे, हम हदो की सारी दह्लीज़् पार कर गये ।
ReplyDeleteअब हाल कुछः यू है, कि आइने मे भी दिखता बस चेहरा तुम्हारा है ॥
बहुत ही बेहतरीन और romantic.
कुछ देखे- कुछ अनदेखे-से, पलकों में जो क़ैद हैं,
ReplyDeleteअधूरे ख़्वाबों के दरम्याँ, नींद आकर गुज़र जाती है |
तुमसे पूछे बगैर हमने, दे दिए थे जो तुम्हें,
हर दिशा में उन वादों की आवाजें बिखर जाती हैं |
बहुत सुन्दर !!
bahut khoob.
ReplyDeleteशहर की हर एक डगर तुम्हारे नगर जाती है |
ReplyDeleteBehtareen...adbhoot...
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हर पदचाप, हर आहट पर, चौंक-सी उठती हूँ मैं,
ReplyDeleteउम्मीद की एक दस्तक और, घर की हर शै सँवर जाती है |
बहुत खूब !
सादर
जब भी बैठी आँखें मूंदे, उनमें तुम्हारा आना हुआ,
ReplyDeleteमेरे मन की सारी गलियाँ रोशनी से भर जाती हैं |
बेहतरीन
adhure khwabon ke darmiyan need aakar gujar jati hai.. sundar prastuti...
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteसादर...
अंतर मन के एहसासों को सटीक शब्द दिए हैं खूबसूरती से.
ReplyDeleteकुछ देखे- कुछ अनदेखे-से, पलकों में जो क़ैद हैं,
ReplyDeleteअधूरे ख़्वाबों के दरम्याँ, नींद आकर गुज़र जाती है |
खूबसूरत एहसास.
खामोश-सी रातों में तन्हाई आकर पसर जाती है,
ReplyDeleteकई रोज़ से आँखों में नमी-सी उतर आती है |
बेहद भावपूर्ण....
Deep thought.....very nice Ritika :)
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