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Monday, February 21, 2011

बेखुदी

खामोश-सी रातों में तन्हाई आकर पसर जाती है,
कई रोज़ से आँखों में नमी-सी उतर आती है |

कुछ देखे- कुछ अनदेखे-से, पलकों में जो क़ैद हैं,
अधूरे ख़्वाबों के दरम्याँ, नींद आकर गुज़र जाती है |

तुमसे पूछे बगैर हमने, दे दिए थे जो तुम्हें,
हर दिशा में उन वादों की आवाजें बिखर जाती हैं |

जब भी बैठी आँखें मूंदे, उनमें तुम्हारा आना हुआ,
मेरे मन की सारी गलियाँ रोशनी से भर जाती हैं |

हर पदचाप, हर आहट पर, चौंक-सी उठती हूँ मैं,
उम्मीद की एक दस्तक और, घर की हर शै सँवर जाती है |

 दुनिया की भीड़ में, जाना-सा एक चेहरा देखा था,
मेरी यादों में अक्सर उसकी तस्वीर-सी उभर आती है |

कई बार सोचती हूँ, कहीं दूर चली जाऊं,
पर, शहर की हर एक डगर तुम्हारे नगर जाती है | 

16 comments:

  1. ''दुनिया की भीड़ में, जाना-सा एक चेहरा देखा था,
    मेरी यादों में अक्सर उसकी तस्वीर-सी उभर आती है |''
    बेहतरीन लाईनें।
    प्‍यार की इंतहा।

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  2. अच्छी रचना !!! सहज,सरल और सुंदर... हां 'पदचाप' शब्द जरूर खटक जाता है बीच में..

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  3. सुन्दर रचना।
    दुनिया की भीड़ में, जाना-सा एक चेहरा देखा था,
    मेरी यादों में अक्सर उसकी तस्वीर-सी उभर आती है |
    यादें तो कभी पीछा नही छोडती। शुभकामनायें।

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  4. बेखुदि-ए-इश्क़ मे, हम हदो की सारी दह्लीज़् पार कर गये ।
    अब हाल कुछः यू है, कि आइने मे भी दिखता बस चेहरा तुम्हारा है ॥



    बहुत ही बेहतरीन और romantic.

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  5. कुछ देखे- कुछ अनदेखे-से, पलकों में जो क़ैद हैं,
    अधूरे ख़्वाबों के दरम्याँ, नींद आकर गुज़र जाती है |

    तुमसे पूछे बगैर हमने, दे दिए थे जो तुम्हें,
    हर दिशा में उन वादों की आवाजें बिखर जाती हैं |

    बहुत सुन्दर !!

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  6. शहर की हर एक डगर तुम्हारे नगर जाती है |

    Behtareen...adbhoot...

    www.poeticprakash.com

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  7. हर पदचाप, हर आहट पर, चौंक-सी उठती हूँ मैं,
    उम्मीद की एक दस्तक और, घर की हर शै सँवर जाती है |

    बहुत खूब !

    सादर

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  8. जब भी बैठी आँखें मूंदे, उनमें तुम्हारा आना हुआ,
    मेरे मन की सारी गलियाँ रोशनी से भर जाती हैं |
    बेहतरीन

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  9. adhure khwabon ke darmiyan need aakar gujar jati hai.. sundar prastuti...

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  10. अंतर मन के एहसासों को सटीक शब्द दिए हैं खूबसूरती से.

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  11. कुछ देखे- कुछ अनदेखे-से, पलकों में जो क़ैद हैं,
    अधूरे ख़्वाबों के दरम्याँ, नींद आकर गुज़र जाती है |

    खूबसूरत एहसास.

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  12. खामोश-सी रातों में तन्हाई आकर पसर जाती है,
    कई रोज़ से आँखों में नमी-सी उतर आती है |
    बेहद भावपूर्ण....

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  13. Deep thought.....very nice Ritika :)

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