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Thursday, January 27, 2011

मनोदशा

अब तक देखती थी तो चारों तरफ शिकवे ही शिकवे थे, मन की गीली मिटटी पर घास-फूस से उगे हुए, हरे-हरे, मगर अब आँखें बंद कर महसूस कर रही हूँ कि कहीं न कहीं वो मेरे तलवों को गुदगुदा रहे हैं, मैं महसूस कर पा रही हूँ उनकी नरमाहट को, मृदुलता को, कोमल छुअन को, खुरदुरी सड़क पर चंद क़दम नंगे पाँव चल चुकने के बाद | अब लगता है, कोई शिकायत इतनी बड़ी नहीं कि जिसकी माफ़ी न हो |
हाँ, घर छोड़कर आई थी, अनजाने शहर, अनजाने लोगों के बीच, सोचा था, कभी अपना नहीं पाउंगी, न मैं इन्हें, ने ये मुझे | अब जबकि ये पड़ाव भी छूटने को है तो एक लगाव, एक जुड़ाव महसूस कर पा रही हूँ,  ठीक वैसे ही जैसे घर में अलग-२ स्वभाव वाले कितने ही लोग होते हैं, मगर आप कभी उन्हें छोड़ नहीं सकते | समझ पा रही हूँ कि नानी के घर से आते समय मम्मी क्यों रोती हैं |

9 comments:

  1. Dedicated to my hostel life.. an amazing and unforgettable experience!! It is special because kitaabon se pare bhi isne mujhe bahut kuchh sikhaya hai, duniya se milwaya hai aur insaan ki itni saari naslein to maine pehle kabhi dekhi hi nahin thi. :)

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  2. कदम जहाँ भी थमते हैं जुडाव वहीं हो जाता है ।

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  3. You reminded me of my hostel life.

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  5. सुन्दर भावाव्यक्ति ।

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  6. आप अपने ब्लाग की सेटिंग मे(कमेंट ) शब्द पुष्टिकरण ।
    word veryfication पर नो no पर
    टिक लगाकर सेटिंग को सेव कर दें । टिप्प्णी
    देने में झन्झट होता है ।

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  7. समझ पा रही हूँ कि नानी के घर से आते समय मम्मी क्यों रोती हैं |

    Ritika Rastogi ji
    नमस्कार
    इन शब्दों में एक गहरी संवेदना है , आप बिलकुल सही कह रही हैं ...जो कभी अजनबी होता है अगर वो हमारी भावना को समझता है तो अपने से भी ज्यादा अपनापन लगता है ..और यही जीवन है ..यही संवेदना है ...और यही इंसानियत है ...आपका आभार

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  8. कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  9. आप सभी के अनमोल सुझाव और टिप्पणियों के लिए धन्यवाद्. टिप्पणियों से word verification हटा लिया गया है.
    जैसा कि पोस्ट देखकर अनुमान हो रहा होगा, मैंने हाल ही में अपने रहने का ठिकाना बदला है, सो चर्चामंच पर नियत समय पर उपस्थित न हो पाने का मुझे हार्दिक खेद है.

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