छोटी-छोटी बातों में मिलती और न छिपती ख़ुशी ,
सारे संसार से ले जाती दूर पर करती अचंभित नहीं |
वाणी में खनक और असीमित माधुर्य ,
कटुता करते विस्मृत पर ये कृत्रिम नहीं |
लड़खड़ाते और थिरकते कदम संगीत बिना ,
हैं वास्तविक पर किंचित विचित्र नहीं |
आँखों में स्वप्न और साथ में अश्रु ,
दर्शाते विचित्रता पर विरोधभास नहीं |
मन में दृढ़ता और हाथों के अनियंत्रित कम्पन ,
भरमाते पर करते तनिक भी ग़लत नहीं |
धरती पर न पड़ते कदम और उड़ना आकाश में ,
है निश्चय ही सत्य पर अतिशयोक्ति नहीं |
मुख पर कांति और लालिमा खिलते गुलाब सी ,
युक्त है मोह से पर कपट के प्रतिरूप नहीं |
चिर सुसज्जित मुस्कान , क्रोधमुक्ति,
विचार मग्नता , भावों की मूक अभिव्यक्ति,
यह लक्षण दीखते हैं तब , जब ,
जीवन रहता नहीं मात्र अपने लिए |
संसार की सुन्दरता , नवीनता दिखना,
लगना सब अच्छा और गुनगुनाना ,
होते हैं साधारण बात जब ,
मिलता है कुछ बिना मांगे हुए |
: माता के गर्भ में पनपता जीवन,
या साथ सच्चे जीवन साथी का ,
पा लेना किसी का विश्वास ,
या आपसी समझ पर आश्रित मित्रता |
हों भले ही ये बातें साधारण-सी ,
पर होती है विशिष्ट ता इनकी अपनी |
प्राप्ति परमेश्वर की या फिर कोई अतुलित खज़ाना ,
होता नहीं यही जीवन में कुछ अनपेक्षित पा जाना ||
वाह क्या बात है. बेहतरीन कविता लिखी है आपने.
ReplyDeleteसादर.
sundar
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
दार्शनिक अंदाज में अपनी बात कहने का ढंग अच्छा लगा बधाई
ReplyDeleteप्यारी मासूम और अवार्ड एण्ड हार्ट विनिंग कविता :)
ReplyDeleteacchi hai kavita....
ReplyDeletekavita to bahut achhi hai aur kafi kade-2 hindi k words bhi use kare hai tumne, mujhe kareeban 2-3 baar padhni padi per 'prapti' kis cheez ki hue hai ye nahi samajh paaya.
ReplyDeletekuchh samjhao... :)
@zaki: ant ki kuchh lines dhyan se padho.. fir sab samajh aa jayega. :P
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