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Monday, November 28, 2011

प्राप्ति

छोटी-छोटी  बातों  में  मिलती   और  न  छिपती  ख़ुशी ,
सारे  संसार  से  ले  जाती  दूर  पर  करती अचंभित  नहीं |
वाणी  में  खनक  और  असीमित  माधुर्य ,
कटुता  करते  विस्मृत  पर  ये  कृत्रिम  नहीं |
लड़खड़ाते  और  थिरकते  कदम  संगीत  बिना ,
हैं  वास्तविक  पर  किंचित  विचित्र  नहीं |
आँखों  में  स्वप्न  और  साथ  में  अश्रु ,
दर्शाते  विचित्रता  पर  विरोधभास  नहीं |
मन  में  दृढ़ता  और  हाथों  के  अनियंत्रित  कम्पन ,
भरमाते  पर  करते  तनिक  भी  ग़लत  नहीं |
धरती  पर  न  पड़ते   कदम   और  उड़ना   आकाश  में ,
है  निश्चय  ही  सत्य  पर  अतिशयोक्ति  नहीं |
मुख  पर  कांति  और  लालिमा  खिलते  गुलाब  सी ,
युक्त  है  मोह से  पर  कपट  के  प्रतिरूप  नहीं |
चिर  सुसज्जित  मुस्कान ,  क्रोधमुक्ति,
विचार  मग्नता  , भावों  की  मूक  अभिव्यक्ति,
यह  लक्षण  दीखते   हैं  तब , जब ,
जीवन  रहता  नहीं  मात्र  अपने  लिए  |
संसार  की  सुन्दरता  , नवीनता  दिखना,
लगना सब  अच्छा  और  गुनगुनाना ,
होते  हैं  साधारण  बात  जब ,
मिलता  है  कुछ  बिना  मांगे  हुए |
: माता  के  गर्भ  में  पनपता  जीवन,
या  साथ  सच्चे  जीवन  साथी  का ,
पा  लेना  किसी  का  विश्वास ,
या  आपसी  समझ  पर  आश्रित  मित्रता |
हों  भले  ही  ये  बातें  साधारण-सी ,
पर  होती  है  विशिष्ट ता   इनकी  अपनी |
प्राप्ति  परमेश्वर  की  या  फिर  कोई  अतुलित  खज़ाना ,
होता  नहीं  यही  जीवन  में  कुछ  अनपेक्षित  पा  जाना ||

7 comments:

  1. वाह क्या बात है. बेहतरीन कविता लिखी है आपने.

    सादर.

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  2. दार्शनिक अंदाज में अपनी बात कहने का ढंग अच्छा लगा बधाई

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  3. प्यारी मासूम और अवार्ड एण्ड हार्ट विनिंग कविता :)

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  4. kavita to bahut achhi hai aur kafi kade-2 hindi k words bhi use kare hai tumne, mujhe kareeban 2-3 baar padhni padi per 'prapti' kis cheez ki hue hai ye nahi samajh paaya.

    kuchh samjhao... :)

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  5. @zaki: ant ki kuchh lines dhyan se padho.. fir sab samajh aa jayega. :P

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