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Friday, January 28, 2011

वाकया

कल मैंने अपने कान की एक बाली खो दी, चाँदी की थी. वो खो गयी है, इसका भान होते ही पहले तो मैं थोड़ा परेशान हुई, फिर तुरंत एक वाकया याद आ गया. पिछले साल मेरी एक चाँदी की अंगूठी पानी में बह गयी थी, देहरादून में.  तब घर लौटने पर मम्मी ने उसकी जगह दूसरी तो बनवा दी थी मगर साथ ही साथ मेरी सोने की बालियाँ भी बदल दी थीं, ये कहते हुए कि अगली बारी उनकी थी. उस दिन मैंने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचा था कि क्या मैं सचमुच इतनी लापरवाह हूँ जितना वो मुझे समझती हैं? खैर, उनकी डांट से बचने के लिए और कुछ खुद भी परेशान होने की वजह से मैंने उसे (बाली को) ढूँढना शुरू कर दिया, मगर वो नॉएडा से गुडगाँव तक कहीं भी हो सकती थी और इतने घंटों के अंतर पर और इतनी छोटी-सी चीज़ का मिल पाना वैसे भी नामुमकिन था. मैं समझ चुकी थी कि अब कुछ नहीं हो सकता, मगर फिर भी, अन्दर से एक ख़ुशी-सी हो रही थी कि मम्मी मुझे कितना ज्यादा जानती हैं, खुद मुझसे भी ज्यादा. कल वो मुझसे मिलने आ रही हैं, और मैंने अभी भी उन्हें कुछ नहीं बताया है. अब जो होगा, कल ही होगा. उनकी नज़र से वैसे भी कुछ छुपा नहीं रह सकता.
                  फिलहाल एक ख्याल मेरे मन में बार-२ घूम-२ कर आ रहा है-- कुछ चीज़ों को खोने में सच में बड़ा मज़ा आता है, फिर कीमत चाहे कुछ भी हो! 

7 comments:

  1. चीज़ खोने म मज़ा आता है ये कभी महसूस करके नही देखा। मेरी बाली 4 दिन बाद गांम्व की गली से ही मिल गयी थी। जहाँ मै किसी के घर गयी लेकिन सोने की बाली 4 दिन बाद किसी गली मे मिल जाये तो ऐसी खुशी महसूस करके अच्छा लगा था। शुभकामनायें।

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  2. सच माँ से बेहतर बच्चों को और कोई समझ ही नही सकता है । इस समझ को हमेशा बनाए रखना । बहुत भोली सी लगी आपकी अभिव्यक्ति ,शुभकामनायें ।

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  3. कोई बात नहीं ...डांट खा लेना ..सब ठीक हो जाएगा ! शुभकामनायें बच्चे !!

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. बहुत ही खूबसूरत मज़मून है, तुम्हारा ये वाक्या दिल को छू गया.

    एक और बात, तुम्हारा ये मज़मून जब पहली बार पढ़ा तो दुबारा तुरंत फिर से पढने का मन करा और जब दुबारा पढ़ा तो तीसरी बार भी पढने का मन कर गया. और खुद को फ़ौरन कमेन्ट करने से रोक नहीं पाया.
    सबसे उम्दा पंक्ति "कुछ चीज़ों को खोने में सच में बड़ा मज़ा आता है, फिर कीमत चाहे कुछ भी हो!"

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  6. मां की डांट हर किसी को नसीब नहीं होता, खुशनसीब होते हैं वो जिन्‍हें यह हासिल होता है।

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  7. रीतिका जी, टिप्‍पणी में शब्‍द पुष्टिकरण हटा लें तो टिप्‍पणी करने वालों को आसानी होगी।

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